Best Quality Hen Found In India Which:भारत में पाई जाने वाली मुर्गियों की प्रमुख नस्लें जिनमें शामिल है -
मुर्गी की प्रमुख नस्लें - |
भारत में पाई जाने वाली प्रमुख कुकुट् की नसलें:
शहरों में लोग व्यापार के उद्देश्य मुर्गियों का पालन करते हैं अगर हमारे भारत देश में देखा जाए तो लोग व्यवसाय के माध्यम के लिए मुर्गियों का पालन करते हैं उसमें भी मुर्गियों के कुछ नस्ल होती है जो अलग-अलग होती हैं जिनमें से की कुछ है।
नस्लों के रूप में इनको इसलिए बांटा गया है क्योंकि कुछ नस्ली ऐसी होती है जो कम समय में ज्यादा वृद्धि करती हैं तो कुछ मुर्गी ऐसी होती हैं ज्यादा मांस वाली होती हैं जिनकी कीमतों में भी अंतर होता है। एक तरह से देखा जाए तो वजन में भी अंतर पाया जाता है जो कम वजन की कुकुट होती हैं उनकी कीमत बहुत कम होती है और जो ज्यादा वजन की कुकुट होती हैं उनकी कीमत बहुत ज्यादा होती है।
उनकी खाने-पीने में भी कोई कमी नहीं की जाती उनके रहने का निवास होता है और उनको पालने के लिए दो-तीन व्यक्तियों को रखा जाता है।
भारत में पाई जाने वाली मुर्गी की प्रमुख नस्ल :
कारी श्यामा (कडाकानाथ क्रॉस)
इसे स्थानीय रूप से “कालामासी” नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ काले मांस (फ्लैश) वाला मुर्गा है। मध्य प्रदेश के झाबुआ और धार जिले तथा राजस्थान और गुजरात के निकटवर्ती जिले जो लगभग 800 वर्ग मील में फैला हुआ है, इन क्षेत्रों को इस नस्ल का मूल गृह माना गया है।
इनका पालन ज्यादातर जनजातीय, आदिवासी तथा ग्रामीण निर्धनों द्वारा किया जाता है। इसे पवित्र पक्षी के रूप में माना जाता है और दीवाली के बाद इसे देवी के लिए बलिदान देने वाला माना जाता है।
पुराने मुर्गे का रंग नीले से काले के बीच होता है जिसमें पीठ पर गहरी धारियां होती हैं।
इस नस्ल का मांस काला और देखने में विकर्षक (रीपल्सिव) होता है, इसे सिर्फ स्वाद के लिए ही नहीं बल्कि औषधीय गुणवत्ता के लिए भी जाना जाता है।
कडाकनाथ के रक्त का उपयोग आदिवासियों द्वारा मानव के गंभीर रोगों के उपचार में कामोत्तेजक के रूप में इसके मांस का उपयोग किया जाता है।
इसका मांस और अंडे प्रोटीन (मांस में 25-47 प्रतिशत) तथा लौह एक प्रचुर स्रोत माना जाता है।
20 सप्ताह में शरीर वजन (ग्राम)- 920
यौन परिपक्वता में आयु (दिन)- 180
वार्षिक अंडा उत्पादन (संख्या)- 105
40 सप्ताह में अंडे का वजन (ग्राम)- 49
जनन क्षमता (प्रतिशत)- 55
हैचेबिल्टी एफ ई एस (प्रतिशत)- ५२
मुर्गियों की नस्लें हैं :
. कश्मीर फेवरोला
. कालास्थि
. कलिंगा ब्राउन
. कृष्णा-जे.
. कालाहांडी
. कोमान
. गिरिराज
. कैरी गोल्ड
. ग्रामलक्ष्मी
. गुजरी
. डांकी
. घाघस
. तेलीचेरी
. धुमसील
. डाओथीर
. धनराजा
. पंजाब ब्राउन
. निकोबारी
. फुलबनी
. बुसरा
. यमुना
सभी प्रजातियों की भाव :
मुर्गी में बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती है और उन सभी प्रजातियों की रेट भी अलग-अलग होती है कुछ मुर्गियों की प्रजातियां बहुत मफ्तर होती है तो कुछ प्रजातियां बहुत लंबे होते हैं तो कुछ प्रजातियां बहुत कम मांस वाले होते हैं तो कुछ बहुत ज्यादा अंडे देने वाले प्रजातियां होती हैं माना जाता है कि सभी प्रजातियों के अलग-अलग तरह से अपने आप में भिन्न होते हैं तो उसी प्रकार से इन मुर्गियों में उनकी भाव में भी बहुत अंतर होता है लॉग इन मुर्गियों को जो की मजेदार रहता है उसकी कीमत 2000 से लेकर 4000 तक होती है और लोग इन्हें लेना भी बहुत पसंद करते हैं और दूसरी मुर्गियों की प्रजाति जो सबसे ज्यादा बिकती है वह सबसे ज्यादा अंडा देने वाली प्रजाति है लोग इस नस्ल की मुर्गी को बहुत लेना पसंद करते हैं और जो लोग अंडे का व्यापार करते हैं वह तो एक मुर्गियों को ढूंढ रहे होते हैं ।
मुर्गी पालन में सरकार की सहायता :
जो लोग मुर्गी या पालना चाहते हैं और उनके पास धन की कमी होती है तो ऐसे में सरकार से चाहता ही सकते हैं क्योंकि सरकार बहुत सारी मुर्गियों के लिए योजनाएं निकाली है जिनमें मुर्गी पालन के लिए सरकार कुछ राशि मुर्गी पालने के लिए देती है सरकार मुर्गी पालने के लिए लोगों को बैंक द्वारा लोन भी प्रदान करती है जो लोग अगर इस कर को करने के लिए सक्षम है तो वह बैंक से मुर्गी पालन के लिए लोन भी ले सकते हैं जो की बहुत कम ब्याज पर मिल जाएगी। सरकार मुर्गी पालने के लिए बहुत सारी योजनाएं निकाली है जिसका भी आप लाभ उठा कर मुर्गी पालन कर सकते हैं।
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